Continue reading "नकली और असली बाल कविता अरुण प्रकाश विशारद की कलम से"
नकली और असली बाल कविता अरुण प्रकाश विशारद की कलम से
नकली और असली बाल कविता अरुण प्रकाश विशारद की कलम से नकली आँखें बीस लगा ले, अँधा देख न सकता है। मनों पोथियाँ बगल दबा ले, मूरख सोच न सकता है ॥ लदे पीठ पर नित्य सरंगी, गदहा राग न कह सकता। चाहे जितना पान चबा ले, भैंसा स्वाद न लह सकता ॥ नहीं चढ़ाकर …